इन्दौर 10 मार्च। पास नही है दाने ओर अम्मा चली भुनाने ...... बुर्जगो की ये पुरानी कहावत आज उस समय चरितार्थ हो गई जब शहर की सीमा में 29 गावों को जोड़ने की प्रक्रिया पर श हर के बुद्धिजिवीयो ने कही ।
रविवार को इंडियन काफी
हाउस शहर बुद्धिजीवियों ने एकजुट होकर शहरी सीमा से जुड़ रहे गांव और उनके
विकास को लेकर चर्चा करते हुए राय जाहिर करते की कि।आज भी शहर में ऐसे कई जरूरी प्रोजेक्ट है, जो आज तक पूरे
नहीं हो पाए है।
जीएसआईटीएस प्रोफेसर संदीप
नरूका ने कहा कि शहर की ड्रेनेज लाइन अभी तक उलझी हुई है। इधर 29 गांवों को
जोड़ने के बाद समस्या और बढ़ जाएगी। इन गांव में सड़के तो है ही नहीं, साथ ही
उन तक पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट की इंतजाम नहीं है। बढ़ाते यातायात ने
शहर को अस्त-व्यवस्थ कर दिया है, ऐसे में जनसंख्या घनत्व का विचार करने
काफी चुनौती पूर्ण निर्णय है।
इंजीनियर वी के गुप्ता ने कहा कि काफी
पहले ही रिंग रोड से बायपास तक पानी उपलब्ध कराने की बात सामने आई थी,
लेकिन हम पुराने स्त्रोंतो को भूलते जा रहे है। वहीं दूसरी ओर गांवों की
बात करें, तो वहां एकदम पानी पहुंचा पाना मुमकिन नहीं, आईडीए के ओपी कुलकर्णी ने कहा कि शहर
विस्तार के लिए भले ही अधिसूचना जारी हो गई हो, पहले शहर को व्यवस्थित करना
जरूरी है। पिछले कुछ वर्षो में विकास तो हुआ, लेकिन बेतरीब। इस बैठक में
समाजसेवी किशोर कोडवानी सेवानृवित्त कोमल प्रसाद, व नूर मोहम्मद कुरैशी ने भी राय व्यक्त करी ।
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