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दिखा रहे है अनेक लोगों को वो रोशनी


      जिन्दगी में अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो शारीरिक कमजोरी भी बाधक नहीं बनती। यह बात दृष्टिहीन आधारसिंह चौहान पर एकदम सटीक बैठती है। खेलकूद से लेकर पढाई तक में सबसे आगे रहे  आधार्सिंह ऑंखों की रोशनी नही होने पर भी  अनेक लोगों को रोशनी दिखा रहे है ।
कृषक परिवार में जन्में आधार जब मात्र ६ वर्ष के थे, तब उनकी दाई  आंख बैल के सींग मारने से चली गई और कुछ समय बाद दूसरी आंख भी दगा दे गई। दोनों आँखों से दृष्टि बाधित होने के बाद भी इस युवक ने हार नहीं मानी। वे अपने पैतृक घर (बिसनखेडा जिला खण्डवा) को छोडकर इंदौर आए। यहां आकर उन्होंने  
 रविवारीय विशेष   किला मैदान स्थित म.प्र. दृष्टिहीन कल्याण संघ में प्रवेश लिया  और दृष्टिहीनों की भाषा ब्रेललिपि सीखी। वे सीखना तो संगीत चाहते थे, पर इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। संस्था में रहकर आधार ने एडल्ट एजूकेशन के तहत खुली शिक्षा प्राप्त की, साथ में उन्होंने कुर्सी बुनाई, पाव-पोछ, हेंगर बनाना एवं टेलीफोन ऑपरेटिंग सीखी। आधार ने नियमित छात्र के रूप में ८वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में सुभाष हायर सेकेण्डरी स्कूल से ११वीं की परीक्षा पास की। वे आगे और पढना चाहते थे। अतः गुजराती कला एवं विधि महाविद्यालय में प्रवेश लेकर नियमित विद्यार्थी के रूप में बी.ए. किया  और शास. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से इतिहास में एम.ए. किया । उसके बाद देअविवि से एम.फिल की डिग्री प्राप्त की।
पढाई के अलावा आधार की रुचि खेलों में रही। विशेषकर गोलाफेंक, तैराकी, शतरंज, लांग जम्प और दौड में उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेकर एक स्वर्ण सहित तीन रजत पदक और कांस्य पदक जीते। वे ८ वर्षों तक म.प्र. के दृष्टिहीनों, एथलीटों में सर्वश्रेष्ठ खिलाडी रहे। उनकी खेल उपलब्धियो  को  ध्यान में रखते हुए समाज कल्याण विभाग ने मार्च १९८५ में उन्हें सम्मानित किया  और मई १९८७ में  म.प्र. की तत्कालीन पटवा सरकार ने उन्हें विक्रम पुरस्कार से नवाजा।
आधार की इन ढेरों उपलब्धियो  को देखते हुए प्रदेश सरकार ने वर्ष १९९० में उन्हें शासकीय विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में नियुत्ति प्रदान की। दृष्टिहीन आधारसिह को नौकरी  दूधिया में मिली, पर वे लोकवाहन से अकेले जाते । वे स्वय दृष्टिहीन हैं, पर पढाते हैं सामान्य बच्चों को। वर्तमान में वे  विजयनगर स्थित शासकीय विद्यालय में सहायक शिक्षक हैं। गत वर्ष नगर निगम एवं एक अन्य् संस्था ने आधार को शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया । इसके अलावा लायस क्लब, रोटरी क्लब जैसी संस्थाएं भी उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं। आधार सिंह विभिन्न सामाजिक  संगठनों से जु.डे हैं। वे राष्ट्रीय् दृष्टिहीन संघ, म.प्र. शाखा के अध्यक्ष रह चुके हैं।
सेवाभावी एवं मिलनसार आधारसिंह दृष्टिबाधितों को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। साथ ही दृष्टिहीन युवक-युवति परिचय सम्मेलन में बढ-चढकर सहयोग देते हैं। आधार के पास ब्रेललिपि में लिखी भगवत-गीता सहित कई किताबें हैं, जिन्हें वे पढते हैं।




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